पापा को आज रोते हुए देखा, पर कुछ था जो समझ ना पाई मैं..

पापा, मेरे पापा,

आज आपको रोते हुए देखा, पहली बार आपको टूटते हुए देखा।

मैं छोटी थी मृत्यु को जानने के लिए, क्यों दादाजी नहीं बोले गए समझने के लिए।

मेरे पापा जो पिलर हैं परिवार का, क्यों हैं आज टूटे हुए?

क्यों हैं पापा आज सबसे रूठे हुए?

क्यों उनके आंसू नहीं थम रहे, क्यों आज वो सबसे नहीं, सब उनसे मिल रहे?

क्यों पूरे घर में लोगों का आना-जाना है, पर फिर भी बच्चे आपस में खेल नहीं रहे?

मन में सवाल लिए आपके पास आई थी पर उन आंसू भरी आंखों से सवाल ना कर पाई मैं।

मेरे लिए वो दिन सिर्फ स्कूल की छुट्टी थी, पर उस दिन मैं एक बात जान गई थी, पापा भी रोते हैं, पापा भी डरते हैं, पापा भी नियंत्रण खोते हैं।

रोना अच्छा है, रोना मन को सुकून देता है।

रोना लड़की को ही नहीं, लड़कों को भी आता है।

रोना कमजोर नहीं लड़ने की शक्ति देता है।

रोना अच्छा है।

पापा, आपके रोने की वजह जान ना पाई थी, अपने नन्हें मन को मृत्यु का राज़ ना समझा पाई थी।

पर आप दुखी हो यह जानती थी, पर आपके आंसू कैसे रोकूं यह ना समझ पाई थी।

आपकी लाड़ली शेरनी!

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