क्या सच में बेटी देवी स्वरूप है?

प्यारे पापा,

आपने समाज का एक अलग रूप देखलया था,
बेटिया जन्नि है, भवश की सर्जनी है, यह बतलया था।
पेर मत शू मेरे, तुम आशीर्वाद हो उस परमेश्वर का, यह कहके हमेशा हाथ हटया था।
बेटी से यश है, सुख है, वह लक्ष्मी स्वरूप है, यह ही जताया था।
 
आपकी सोच में समाज का एक अच्छा और सुरक्षित रूप देखता था।
आपका हर पल मेरे साथ जाना, चाहे वो घर से स्कूल हो या फिर किसी दोस्त के घर, जब भी बाहर जाती थी आपको सामने पाती थी।
आज आपसे यह पूछती हु, यह प्यार और मेरी फ़िक्र थी, या था उस भयंक समाज का डर?
आज किसकी बेटी को इस भयंक रूप के द्र्श्न हुए,
वो में नही थी बस यह कह के क्या आप चुप रहे गए?

क्यूँ पापा यह समाज दुर्गा पूजा करता है, जब उसी देवी के घर में दुशक्रम करता है?
एक मंदिर गिरा तो दंगे हो गये थे,
रोज़ उस देवी को तार तार करते है, यह समाज के ठेकेदार, पर अब हत्यार नही ऊट्टे है?
यह कैसा नक़ली समाज है पापा, अपनी बेटी नही, तो वो देवी स्वरूप नही?

अब सोचती हु में, 
क्यू आपने लक्ष्मी सूरूप ही बन्ना सिख्या था?
क्यू दुर्गा, काली और चण्डी ना बनाया था?

आज के समाज को लक्ष्मी नही, चण्डिका सरूप चाइए,
बाप बेटी की परछाई नही बन सकते, पर बेटी को सरस्वती और लक्ष्मी के साथ दुर्गा बनने की शिक्षा ज़रोर दे।

आपकी लाड़ली शेरनी


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