कुछ बातें दिल की
कुछ ज़स्बाद दील में ही रहने दिए।
किस्से थे दुनिया में वो ज़रूर बायाँ किए।
किसके सामने काहे यह जज़्बात, दिल की बात..
जब सुनने वाले ही तोले आपके जज़्बात।
आपके दिल कि बात, किसके बन, बाज़ार में बिकते है,
जब यह समज़ आया, आपने जज़्बात दिल में बंद कर लिए, और कभी कभी आँसू बनके बहने दिए।
पर कभी भी ज़स्बातो को लवज़ो का रूप ना दिया, क्यूँकि लवज़ किस्से बन जाते है, और किस्से ही बाज़ारों में सुनाए जाते है।
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