काश ❤️

 काश आज फिर तुम्हें ख्यालो मासू ना क्या होता..


काश तुम्हारे साथ बीतिया हुआ हर लम्हा इतना खास ना होता।

ज़हन से जाती ही नहीं है वो नज़र जिसे आखिरी बार तुमने मुझे देखा था।

वो तुम्हारा मुझे समझाना कि क्यों बने हैं हम एक-दूसरे के लिए।

और मेरा बस पलट जाना, और कुछ ना कहना।

काश आज भी मैं ज़रूरी होती तुम्हारे लिए,

पर तुमसे गिला करने का हक कुद ही तो गवाया है मैंने ।

मालूम है मुझे तुम कोई और के हो, तुम्हें अपना न कह दें कि वजह गवाई है में।

कश तुम्हारा साथ छोड़ देने की वजह मेरी नादानी न होती, काश आख़री लड़ाई में जीत मेरी न होती।

अब तो ना लड़ने का हक है और ना गिला का.. शकायत भी तब करती जब इस जुदाई की वजह में ना होती।

काश तुमने हर वादा ना नेभ्या होता, बेवजे मुझे सुरखों में ना बेठिया होता,

किसी और की हो चुकी हूँ अब, पर तुम्हारा वो मुझसे भी ज्यादा मूझे समझना बुलाया नहीं जाता। 

काश बेवफाई मैंने ना की होती, जीवन की कहानी कुछ और ही होती।

काश हर कसूर मेरा ना होता, अपने पापा की लड़की की जीत और तुम्हारी प्रियसी की हार का फैसला मेरा ना होता।

काश आज फिर तुम्हें ख़यालों में  मासू ना क्या होता।

काश आज फिर तुम्हें ख़यालों में मासू ना क्या होता।
Aapki Ladli sherni 

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