Posts

काश ❤️

  काश आज फिर तुम्हें ख्यालो मासू ना क्या होता.. काश तुम्हारे साथ बीतिया हुआ हर लम्हा इतना खास ना होता। ज़हन से जाती ही नहीं है वो नज़र जिसे आखिरी बार तुमने मुझे देखा था। वो तुम्हारा मुझे समझाना कि क्यों बने हैं हम एक-दूसरे के लिए। और मेरा बस पलट जाना, और कुछ ना कहना। काश आज भी मैं ज़रूरी होती तुम्हारे लिए, पर तुमसे गिला करने का हक कुद ही तो गवाया है मैंने । मालूम है मुझे तुम कोई और के हो, तुम्हें अपना न कह दें कि  वजह गवाई है में। कश तुम्हारा साथ छोड़ देने की वजह मेरी नादानी न होती, काश आख़री लड़ाई में जीत मेरी न होती। अब तो ना लड़ने का हक है और ना गिला का.. शकायत भी तब करती जब इस जुदाई की वजह में ना होती। काश तुमने हर वादा ना नेभ्या होता, बेवजे मुझे सुरखों में ना बेठिया होता, किसी और की हो चुकी हूँ अब, पर तुम्हारा वो मुझसे भी ज्यादा मूझे समझना बुलाया नहीं जाता। काश बेवफाई मैंने ना की होती, जीवन की कहानी कुछ और ही होती। काश हर कसूर मेरा ना होता, अपने पापा की लड़की की जीत और तुम्हारी प्रियसी की हार का फैसला मेरा ना होता। काश आज फिर तुम्हें ख़यालों में मासू ना क्...

Janet-e-zameen-Kashmir

आज दिल फिर दुखा है, आज फिर सर दुआ में जुखा है। मीटी मेरी लहू लोहान है, यह ज़मीन लाल है, ये निकली इसमें से गुहार है.. ए जनत-ए-ज़मीन-मेरे कश्मीर आज फिर तेरी ज़मीन पर गिरे हमारे देश के लाल है। क्यू तेरी ख़ूबसूरत की तारीफ अब लब में आती नहीं, इस बर्फीली वादियों में सफ़ेद रंग शांति का नहीं, लाल रंग जंग का है। क्यों बार बार तेरी ज़मीन पर समर शंक की दून सुनी देती है? उस दून के बाद एक रुदन है, गुहार और दुआ ही बस सुनी देती है.. यह जनत-ए-ज़मीन तो नहीं था मेरा, यह कैसी जनत है, जो सफ़ेद नहीं लाल है। हर तरफ़ बस रुदन है और गुहार है। Apki ladli sherni 

Mera bhai ki shaadi ki dua

 मेरी आख़ में एक आसु भी जो देख ना पाए, पर सबसे जज़दा हॉक से वोह ही मूझे चिड़िये । भाई सिर्फ़ एक लव्स नहीं, एक पूरी किताब है तू, ऐसासो की कलम से, यादों के पने में likha हुआ आसाह है तू । दी और मेरी कहानी पूरी हुई तेरे आने से । बचपन की उन लड़ियो उन शैतानियों से । मेरी आखो से ऑश निकलते देख घबराना ना तू , यह तेरे लिए मेरी दुआ के लव्स बन निकलते है, तु सुख और सेहत  से जीए बस ये ही कहते है । इन आखो ने तुझे बड़ा होते देखा है, आपने खाबो को वाक्ति तोर पे रोकते देखा है, परिवार की ख़ाहिशे पहले और आपने सपनों को पीछे रहते देखा है । कब तू इस घर की दीवार से छत हुआ यह समज ना पायी में, पर हमारे दिल से बस यह दुआ पाई तूने,, कोई हो जो तुझए समजे और तेरे सपने को तुझसे जज़दा प्यार करे । ज़मनने की बुरी नज़र से पहले उसी पूजा काम करे। अब मेरी दुआ महकी है, फूल बन हमारे आगन में बेठी है । इस घर की ख़ुशबू तुम बन जाओ Mehak, इस तरह तुम रमो अपने पी के घर में। तुम दोनों आबाद, एक साथ रहो यह दुआ की चादर तुमे उड़ती हूँ, शीत,धूप से तुम दोनों हमेशा बचे रहो यही संगीत गाती हूँ ।।

प्यार की परिभाषा क्या है

प्यार की परिभाषा जीवन के हर मोड़ पे बदलती है। प्यार कभी एक से नहीं होता, ना ही हर एक से एक सा होता है । पहला प्यार doop में उस शाव की तरहा है, जो जब भी याद आता है तो एक हल्की मुस्कान देजाता है । यह प्यार माँ के आचल से मिलता है । एक प्यार आदर, संघर्ष और जिद्दी का मिश्रण होता है, जो आपको जीवन में कभी हारने नहीं देता, यह प्यार पिता से होता है । एक प्यार सामने, समझोते और सम्र्पण का होता है । यह प्रेमिका या पत्नी से होता है । अपनी जीवनसाथी के साथ नवीन जीवन का सर्जन भी तो प्यार है । उस नए जीव को अपना आग समझना, पर वक़त आने पर उसे अपने नरने कूद से लेने की आजादी देना भी तो प्यार है । आपने इस्ट देव से जिद्द और नाराज़ होना भी तो प्यार है । आपने आप से पहले किसी और के बारे में सूचना भी तो प्यार है । प्यार का नाम लेला भी है जिसके लिए मजनू ने जग से मू मोड़ा था, और प्यार वो भी है जब मीरा ने सांसारिक बंदनों से मोह छोड़ा था। किसका प्यार सच और कोन सा प्यार महान है? प्यार तो बस प्यार है, देव से हो या इंसान से । यह प्यार किसी से भी हो सकता है । यह प्यार हर समाए बदलता है । प्यार कभी एक से नहीं होता, ना ही ह...

Kash..

 Kash Aaj phir tumhe kyaloo mein masus na kya hota.. Kash tumhare saath betiyan hua har lamha itna khas na hota. Zahan se jati hi nahi hai woh nazar jisse aakri baar tumne mujhe dekha tha. Woh tumhara mujhe samjhana ki kyu bane hai hum eka-dusare ke liye. Aur mera bus palt jana, aur kuch na kehna. Kash aaj bhi mein zaroori hoti tumhare liye, Per tumse gila karne ka haak kud hi toh gawaya hai mein. Maloom hai muje tum kisi aur ke ho, tumhe aapna na keh payne ki wajeh gawai hai mein. Kash tumhara saath chod dene ki wajeh meri naadaani na hoti, kash akri ladai mein jeet meri na hoti. Ab toh na ladne ka haak hai aur na gila ka.. Shekaat bhi tab karti jab is judai ki waje mein na hoti. Kash Tumne har wada na nebhaya hota,bewajeh muje suraakhon mein na bethiya hota, kisi aur ki ho chuki hu mein ab, per tumhara woh muje mujse bhi zadya samjna bhulya nahi jata.  Kash bewafaai mein na ki hoti, jeevan ki kahni kuch aur hi hoti. Kash har kasoor mera na hota, apne papa ki ladki ki jeet au...

क्या सच में बेटी देवी स्वरूप है?

प्यारे पापा, आपने समाज का एक अलग रूप देखलया था, बेटिया जन्नि है, भवश की सर्जनी है, यह बतलया था। पेर मत शू मेरे, तुम आशीर्वाद हो उस परमेश्वर का, यह कहके हमेशा हाथ हटया था। बेटी से यश है, सुख है, वह लक्ष्मी स्वरूप है, यह ही जताया था।   आपकी सोच में समाज का एक अच्छा और सुरक्षित रूप देखता था। आपका हर पल मेरे साथ जाना, चाहे वो घर से स्कूल हो या फिर किसी दोस्त के घर, जब भी बाहर जाती थी आपको सामने पाती थी। आज आपसे यह पूछती हु, यह प्यार और मेरी फ़िक्र थी, या था उस भयंक समाज का डर? आज किसकी बेटी को इस भयंक रूप के द्र्श्न हुए, वो में नही थी बस यह कह के क्या आप चुप रहे गए? क्यूँ पापा यह समाज दुर्गा पूजा करता है, जब उसी देवी के घर में दुशक्रम करता है? एक मंदिर गिरा तो दंगे हो गये थे, रोज़ उस देवी को तार तार करते है, यह समाज के ठेकेदार, पर अब हत्यार नही ऊट्टे है? यह कैसा नक़ली समाज है पापा, अपनी बेटी नही, तो वो देवी स्वरूप नही? अब सोचती हु में,  क्यू आपने लक्ष्मी सूरूप ही बन्ना सिख्या था? क्यू दुर्गा, काली और चण्डी ना बनाया था? आज के समाज को लक्ष्मी नही, चण्डिका सरूप चाइए, बाप बे...

पापा को आज रोते हुए देखा, पर कुछ था जो समझ ना पाई मैं..

पापा, मेरे पापा, आज आपको रोते हुए देखा, पहली बार आपको टूटते हुए देखा। मैं छोटी थी मृत्यु को जानने के लिए, क्यों दादाजी नहीं बोले गए समझने के लिए। मेरे पापा जो पिलर हैं परिवार का, क्यों हैं आज टूटे हुए? क्यों हैं पापा आज सबसे रूठे हुए? क्यों उनके आंसू नहीं थम रहे, क्यों आज वो सबसे नहीं, सब उनसे मिल रहे? क्यों पूरे घर में लोगों का आना-जाना है, पर फिर भी बच्चे आपस में खेल नहीं रहे? मन में सवाल लिए आपके पास आई थी पर उन आंसू भरी आंखों से सवाल ना कर पाई मैं। मेरे लिए वो दिन सिर्फ स्कूल की छुट्टी थी, पर उस दिन मैं एक बात जान गई थी, पापा भी रोते हैं, पापा भी डरते हैं, पापा भी नियंत्रण खोते हैं। रोना अच्छा है, रोना मन को सुकून देता है। रोना लड़की को ही नहीं, लड़कों को भी आता है। रोना कमजोर नहीं लड़ने की शक्ति देता है। रोना अच्छा है। पापा, आपके रोने की वजह जान ना पाई थी, अपने नन्हें मन को मृत्यु का राज़ ना समझा पाई थी। पर आप दुखी हो यह जानती थी, पर आपके आंसू कैसे रोकूं यह ना समझ पाई थी। आपकी लाड़ली शेरनी!